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Vimla Jain

Tragedy Action Classics

4.5  

Vimla Jain

Tragedy Action Classics

स्वास्थ्य की खो गई है चाबी

स्वास्थ्य की खो गई है चाबी

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  --- क्या कहूँ, क्या बताऊँ, अपनी बात हर एक को समझाऊँ
— जो सुने, वह माने; जो न माने, वह अपनी जाने।
 आज बचपन से ही बढ़ रही बीमारियाँ, कारण हमारा खानपान और अव्यवस्थित दिनचर्या।
बचपन से ही जिसे जंक फूड और होटल का स्वाद लुभाए, बिस्तर पर आलस्य ही सबसे प्यारा लग जाए।
 आराम बने धर्म और कर्म का नारा, फिर थोड़े दिनों में रोगों ने घेरा सारा।
 स्वास्थ्य से ऊपर स्वाद का सिंहासन, और स्विग्गी–जोमैटो ने बढ़ाया ये आकर्षण। नौकरियाँ भी अधिकतर बैठकर निभाई जाती हैं, घंटों स्क्रीन के सामने ही बिताए जाते हैं।
न घूमना, न फिरना—बस आराम से काम,
 तो स्वास्थ्य की चाबी खोना कोई बड़ी बात तो नहीं आम? पर यदि हम उस खोई चाबी को ढूँढने निकलें,
जीवन में छोटे–छोटे बदलावों को अपनाएँ,
जंक फूड, रिफाइंड ऑयल, अनहाइजीनिक चीजों से दूरी बनाएँ।
 स्वास्थ्यवर्धक भोजन, सलाद, घर का सादा खाना खाएँ, समय पर भोजन करें, नियमित दिनचर्या अपनाएँ।
व्यायाम, टहलना, थोड़ी कसरत रोज़ निभाएँ, तो जीवन सुगम हो—रोग पास न आएँ।
 बस इतना याद रहे— स्वास्थ्य की चाबी सँभाल कर रखें, कभी भी इसे खोने न दें। :
 स्वास्थ्य की खोई चाबी क्या कहूँ, क्या बताऊँ? अपनी बात हर किसी तक पहुँचाने का मन है— जो सुने और माने, वह लाभ उठाए; जो न सुने, वह अपनी ही मर्ज़ी से चले।
स्वरचित स्वास्थ्य आधारितकविता


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