बचपन
बचपन
जब खेलने के लिए,
खिलौंना होता हैं,
वो बचपन भी,
कितना हसीन होता है,
जब खेलने के लिए,
खिलौंना होता हैं।
हम लडते, झगडते है,
फिर मिल जाते है,
सब कुछ,
एक सपना होता है,
जब खेलने के लिए,
खिलौंना होता हैं।
ना खाने कि फिकर,
ना काम का टेंशन,
सिर्फ मनोंरंजन ही
मनोंरंजन होता है,
जब खेलने के लिए,
खिलौंना होता हैं।
वो बचपन भी,
कितना हसीन होता है,
जब खेलने के लिए,
खिलौंना होता हैं।