देश- भक्ति गीत
देश- भक्ति गीत
तिल-तिल मरते भारत को अब, मिलकर हमें बचाना है ।
बढ़ते आतंकी बरगद को, जड़ से हमें मिटाना है ।।
दहशत का ये नंगा नाटक, और न होने देंगे हम
बच्चों की किस्मत को खूँ से, और न धोने देंगे हम
कलम किताबों के हाथों को,पत्थर नहीं थमाना है।
तिल-तिल मरते भारत को...
फूल खिलेंगे अमन चैन के,फिर केसर की घाटी में
भारत माँ के बैरी को गर, मार मिलाएं माटी में
विष के बीज न फूटे आँगन, अमृत बेल लगाना है ।
तिल-तिल मरते भारत को...
बम की सेज सजाने वाले, और न आगे बढ़ पायें
सरहद पर छिप लड़ने वाले, बचकर नहीं निकल पायें
शेरों से भिड़ने का होता, क्या अंजाम बताना है।
तिल-तिल मरते भारत को...
वीरों की क़ुर्बानी को अब, व्यर्थ न जाने देंगे हम
एक वीर के बदले में अब, सौ-सौ जानें लेंगे हम
छोड़ो काग़ज़ के समझौते,और न धोका खाना है ।
तिल-तिल मरते भारत को...
सोच समझ कर क़दम बढ़ाओ, तभी सुनहरा कल होगा,
मज़हब की चादर से निकलो, खुशियों का हर पल होगा
हिन्द एक है एक रहेगा, सपना यही सजाना है।
तिल-तिल मरते भारत को...
नहीं सहेंगे चहुँ दिश क्रंदन, सैनिक के परिवारों का
घाटी पर बढ़ता हमला अब, अरि के बर्बर वारों का
मौन न शीश झुकायेंगे हम, मिल आवाज़ उठाना है।
तिल-तिल मरते भारत को...