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Dinesh Dubey

Tragedy

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Dinesh Dubey

Tragedy

बढ़ती भीड़

बढ़ती भीड़

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बढ़ती भीड़ देखकर कह उठे दिनेश,

अब ना कोई कुछ कर पाएगा ,

सरसो रखने की जगह न बचेगी

तो कहां रह पायेगा क्लेश।

जंगल कटते ,सागर पटते,

बस पट रहा नही ये मन,

सारा जीवन बीत गया अब,

यू ही राहों में खटते खटते।

धरती छोड़ अब आसमान पर ,

बसने की सब सोच रहे ,

ना जाने कब मां प्रकृति का ,

हो जाएगा सब पर प्रकोप ।



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