अहसास मेरे उल्फत के

अहसास मेरे उल्फत के

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कौन कहता है मुर्दा दिल धड़क नहीं सकता,

उस ज़ालिम को एक बार पुकारने को बोलो फिर देखो।

यूँ तो उसके छूने से ही रूह कांप उठती है,

एक बार सीने में नज़र उठाकर तो देखो।।


थमी हुई सांसे भी अंगड़ाइयाँ लेती हैं मेरी,

एक बार उसका नाम इस दर्द-ऐ-दिल के सामने लेकर तो देखो।

शाखों से मेरी पत्ते टूटने लगते हैं,

देखना चाहते हो तो उसे मुझसे दूर लेजाकर तो देखो।।


ज़ुल्फें उसकी मानों जैसे हवा का झोंका है,

एक बार तसल्ली से निहार कर तो देखो।

भीगे बालों में उसके जैसे कोई नशा है,

ख़ुदा से दुआ कर बरसात करवाकर तो देखो।।


उसकी पलकें जब जब मिलती है आपस में,

उसे खुद को एक बार आईना दिखा कर तो देखो।

खुद शर्मा जाएगी वो अपनी खूबसूरती से,

एक बार उसे कोई मेरे ये अल्वाज़ पढ़ाकर तो देखो।।


गाल उसके जैसे नशे की खज़ान हो,

एक मर्तबा ज़रा तुम उसे चखकर तो देखो।

तुम खुद-ब-खुद उससे इबादत करने लगोगे,

एक बार उसके लबों की मुस्कुराहट से,

मुलाकात करके तो देखो।।


जानना चाहते हो गर मेरी उल्फत की हदों को,

अंबर में तारें गिनकर तो देखो।

गर मिल जाए कोई बेइंतहा मोहब्बत करने वाला,

मेरी मोहब्बत को उस मोहब्बत से परख कर तो देखो।


सूरत मेरे यार की देखना चाहते हो तो,

मेरी नज़र से एक बार ख़ुदा को याद करके तो देखो।

आइना भी झूठा लगेगा मेरे उल्फत-ए-यार को,

उससे कहना मेरी आँखों में खुद को संवारकर तो देखो।।


अपने अहसासों को अल्वाज़ो में पिरोया है यूँ,

तुम भी उन्हीं अहसासों से एक बार इसे पढ़कर तो देखो।

क्या पता तू भी उल्फत मुझसे यूँ करने लगे,

ज़रा एक बार वो मुख्तासर मुलाकातें याद करके तो देखो।।


ये हुनर लिखने का भी बड़ा अजीब सा है,

एक बार दिल की दास्तां लिखकर तो देखो।

ये बेरहम दुनिया इस हालत में भी तेरी तारीफ करेगी,

एक बार तमाम कायनात के सामने उसे ये पैगाम देकर तो देखो।।


लोग कहते हैं प्यार उनकी ज़िंदगी है,

खुद जानना है तो एक बार करके तो देखो।

सच कहूँ तो दर्द-ऐ-प्यार ही ख़ुदा की रंजिश है,

महसूस करना चाहते हो तो एक तरफा प्यार करके तो देखो।।


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