ये कैसा वंदन
ये कैसा वंदन
ना जाने अनजाने मॆं खींच गई कैसे एक बड़ी लकीर है ,
लेकिन यारो मेरी मानो, बड़ा प्यारा अपना ये कश्मीर है ।
मन्दिर खीरभवानी का यहाँ , मुस्लिम बनाते खीर जहाँ ,
खय्यामुद्दीन की मजार जहाँ , चढ़ाता हिंदू चादर वहाँ ॥
ये देश बड़ा विचित्र , हम लूटते पिटते यहाँ तक आये हैं ,
मुगलों अंग्रेजों ने लूटा सो लूटा, अपनों से भी लूटवाये हैं ।
छला हमको सत्ता ने पग पग पर , हाकिमो ने कहर ढाये ,
टूट गये तब हम , जब धर्म के सौदागरों से भी ठगा आये ॥
पाली मॆं पूजवा दी बुलेट हमसे , महान मेरो राजस्थान ,
ऐरोप्लेन चढ़ा मत्थे टेकने, पंजाब चल दिया तलहन गाँव ।।
लखनऊ की तह्जीब सीखने की कोशिश मॆं वर्षों लगा रहा ,
देख जलती सिगरेट मूसाबाग की मजार पर, सुलगता रहा ॥
जौनपुर का मंदिर हो या शाहाबाद नौ गजा पीर की मजार,
घड़ी चढ़ा कर , करते सारे अपना समय बदलने की गुहार ॥
बाबा योग सिखलाते सिखलाते , घोट जड़ी बूटी पिलाने लगे ,
और खिलाते पिलाते घी मधु , साबुन शेम्पो से नहलाने लगे ॥
धर्म के हाथों पिट पिट कर , जनता हो चुकी कमजोर हैं ,
अब सन्त कहाँ फ़कीर कहाँ , याचक वाचक सब चोर हैं ।
लूटी पिटी जनता कॊ सीमा पर भेजने की अब तैयारी है ,
पाक मंदिर मस्जिद कॊ बदल वोटों में खेलनी नई पारी है ॥
कमसकम भेडिये भेडियों के वेष में ही घूमा करते थे ,
रंगा सियार बन जंगल जंगल नहीँ विचरा करते थे ।।
चुका नहीँ ऋण देश का अंश मात्र , फ़िर ये कैसा वन्दन,
इतिहास लिखता आया है, हर नृप का निंदन अभिनंदन ॥
1. पाली जिले में NH65 में बुलेट बाबा का मन्दिर
2. जालंधर के गुरुद्वारा में प्लास्टिक का हवाई जहाज चढाते हैं. 3. लखनऊ की कप्तान बाबा मजार पर अगरबत्ती नहीँ सिगरेट चढ़ती हैं.