अनुदान नहीं लाभांश
अनुदान नहीं लाभांश
ये पहाड़ हम भी तोड़ सकते हैं
फिजूल क्यूँ मशीन लगाते हो।
ये पत्थर हम भी बेच सकते हैं
क्यूँ किसी को लीज दिलवाते हो।
हमारे जंगल हमारी जमीन हमारे पत्थर
वो राज करें और हम भटक रहे दर दर।
क्यूँ नहीँ पोटका को पत्थर क्लस्टर बना देते हो,
क्यूँ नहीँ यहॉ सेल्फ हेल्प ग्रुप शुरू करा देते हो।
पत्थर के पट्टों को एसएचजी में बांट दो,
हर एसएचजी को एक हेक्टेयर पट्टा दो।
दस दस एसएचजी के बना दो कई संघ,
लगाना हो क्रशर जिसे, लगाए उनके संग।
ना ग्रामसभा में दिक्कत आएगी,
ना रोजगार की चिंता सतायेगी।
विक्रय मूल्य तय करें सरकार, उसके हिस्से हों चार,
रायल्टी, जीएसटी, एसएचजी और क्रशर साझेदार।
विकास का मॉडल ऐसा बनाओ,
अनुदान नहीं लाभांश दिलवाओ।