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Rajit ram Ranjan

Drama

3  

Rajit ram Ranjan

Drama

वो थी मेरी मां

वो थी मेरी मां

3 mins
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जन्म के समय जिसने मुझे

गोद में उठाया वो थी मेरी मां,

मैं रो रहा था तो सीने से लगाया

वो थी मेरी मां,

मेरे आँसू देखकर जिसने

आँँसुओं का सागर बहाया वो थी मेरी मां !


मेरी भूख को देखकर

अपनी छाती से लगाकर दूध पिलाया

वो थी मेरी मां !


रेंगता हुआ घुटनों के बल से

देखकर छाती से लगाया,

मुझे उठाया

वो थी मेरी मां !


भूखी रहकर हर पल

मेरी भूख मिटाई

वो थी मेरी मां !


मेरी ज़रा - सी चोट पर

लाखों मरहम लगाया

वो थी मेरी मां !


मेरी भावनाओं को गर

कोई समझ पाया

वो थी मेरी मां !


मेरे ज़रा - सी प्यास पर

जल का सागर ले आई

वह थी मेरी मां !


मेरी आंखें भर जाने पर

जिसने अपना आंचल भी खोया

वह थी मेरी मां !


शाम को बिना खाए सो जाने पर

डांट - डांट कर मुझे उठाया

वो थी मेरी मां !


रात को डर से चीख जाने पर

मुझे बांंहों में उठाया

वो थी मेरी मां !


मेरी छोटी - सी जीत पर

जिसने मुस्कराया

पल-पल जश्न मनाया

वो थी मेरी मां !


कभी गलत ना सिखाया

हर पल ईमानदारी का रास्ता दिखाया

वो थी मेरी मां !


अंगुली पकड़कर

सारी दुनिया दिखाई

वो थी मेरी मां !


प्यार से मेरे गाल पर

ज़ोर का चांंटा लगाया

वो थी मेरी मां !


काफी पछताईं

बाद में आंसुओ का सागर बहाया

वो थी मेरी मां !


बड़े - छोटों का

आदर सत्कार करना सिखाया

वो थी मेरी मां !


गलती कर देने पर भी

हर पल मुझे अच्छा बताया

वो थी मेरी मां !


जिससे प्रफुल्लित हो मन मेरा

वही कार्य करना सिखाया

वो थी मेरी मां !


मुझको सृजित

जन्म देकर दिखाया

वो थी मेरी मां !


दुख में भी

खिलखिलाना सिखाया

वो थी मेरी मां !


चड्डी पर पेशाब कर देने पर भी

प्यार से मुझे उठाया

वो थी मेरी मां !


रात को देर से घर आने पर

जिसने घबराया, खाना ना खाया

वो थी मेरी मां !


आसमान में उड़ने के लिए

जिसने हौसलों का पर लगाया

वह थी मेरी मां !


कुछ कर गुज़रने का हौसला

जिससे मुझ में आया

वो थी मेरी मां !


सिर्फ वर्तमान में जीना,

अतीत को भूल जाना सिखाया

वो थी मेरी मां !


रात को नींद ना आने पर

जिसने लोरी सुनाई

वो थी मेरी मां !


अंधेरों से लड़ने का साहस

मुझ में जिससे आया

वो थी मेरी मां !


जीव - जंतु, पर्वत - पहाड़, नदियां - झरना

किस किस से प्रेम करना सिखाया

वो थी मेरी मां !


इस कविता को लिखने के लिए

काबिल बनाया

वो थी मेरी मां !


सुबह ब्रश के बाद

नाश्ता लेकर आईं

वो थी मेरी मां !


जल्दी-जल्दी मुझे और

मेरा टिफिन तैयार करके

मुझे स्कूल भिजवाया

वो थी मेरी मां !


नींद ना आने पर

राजा - रानी, तोता - मैना, सदाचार की कहानियां सुनाईं

वो थी मेरी मां !


मुझे विस्तार से सुबह

जल्दी उठाया

वो थी मेरी मां !


सुबह ठंडे पानी से

स्नान करना सिखाया

वो थी मेरी मां !


सिर्फ मुस्कुराना सिखाया

वो थी मेरी मां !


हर पल साफ - सफाई से रहो

- ऐसा बताया

वो थी मेरी मां !


महान बनने का साहस

जिसने लाया

वो थी मेरी मां !


अक्सर अच्छे कार्यों को

करना सिखाया

वो थी मेरी मां !


भोर जागरण में रहना

अच्छी धूप में खेल खिलाना सिखाया

वो थी मेरी मां !


अच्छा कर्म, अच्छे विचार,

अच्छी सोच, अच्छा परिणाम

जिसने मुझे बताया

वो थी मेरी मां !


ईमानदार दिखो मत, हो जाओ !

दिखना ही गलत सिखाया

वो थी मेरी मां !


कुछ पल एकांत में जाकर

विचार - ध्यान करना सिखाया

वो थी मेरी मां !


गीत - गज़ल, कविता - शायरी - शेर,

कहानियां लिखना

और समझना सिखाया

वो थी मेरी मां !


जन्म के समय जिसने मुझे

गोद में उठाया

वो थी मेरी मां !

वो थी मेरी मां !

वो थी मेरी मां...!


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