मन की दुविधा बताती नहीं हां मैं जताती नहीं
मन की दुविधा बताती नहीं हां मैं जताती नहीं
जहां ने पूछा तू आजकल रोती नहीं,
बिखेर के आंसू मन हल्का करती नहीं,
बेवजह की दिल खोली तू आजकल करती नहीं,
शायद आजकल तेरी दुनिया में कोई गम नहीं।
मैं बोली,
आंसू सार सार कर भी दूँ तो क्या होता है,
आजकल हर कोई जिंदगी में बातें पान की तरह लेकर चलता है,
बेवक्त, बेराह तुम्हारा बखान करता है,
हां आंख से कतरा आज भी बहता है,
फर्क इतना है कि आवाज भैरों को यह अब लगाता नहीं है।
कमज़ोर आप होते नहीं आपको बनाया जाता है,
आंसू निकाले नहीं जाते निकल जाते हैं,
दिल दुखता नहीं दुखाया जाता है,
बेबात किसी को रुला कर हां पाप लग जाता है।
दिल सिर्फ प्यार से नहीं दुखता,
दिल सिर्फ बेमतलब झुट्टे लोग नहीं दुखाते,
दिल तो दिल है साहब अक्सर यह,
खुद से हुई उम्मीदों से भी दुख जाता है,
हां उम्मीदों से भी दुख जाता है।
कहा जाता है प्यार में वादे कच्चे होते हैं,
लोगों की भावनाएं बदलती रहती हैं,
लोग एक पल किसी और के एक किसी के हो जाते हैं,
आंसू देकर बस यही कहे चले जाते हैं,
की संभाल लिया है मैंने खुद को,
की संभाल लिया है मैंने खुद को,
तुम भी संभाल लेना,
याद आए मेरी तो मुझे बुरा ही समझ लेना!
आज सब आगे यूं भागे जा रहे हैं,
यही सोच सब मर मर कर जी रहे हैं,
कामयाबी पाने के लिए अपनों से दूर,
और वस्तुओं से जुड़े जा रहे हैं,
आज सब मंजिलों के रास्ते चले जा रहे हैं,
और अपनों को अपने कठिनाइयों का पता नहीं लगने दे रहे हैं।
कामयाबी को यूं पाना चाह रहे हैं,
की दुख भी सह रहे हैं और बताना भी नहीं चाह रहे हैं,
अक्सर लोग खामोश हो जाते हैं,
बदलते वक्त देख भीतर ही मर जाते हैं,
हार कर जिंदगी से मौत को गले लगाते हैं,
आज लोग मजाक न बनने के डर से,
सब कुछ छुपाए जा रहे हैं,
भीतर ही भीतर मारे जा रहे हैं।
इसलिए कहा है,
बस इन प्यार की बातों से दिल नहीं दुखता,
कभी कभी मंजिलों की कठिनाइयों में आई परेशानियां भी यूं कांटों सी चुभती हैं,
की दिल भी सुकरे लेता है और आंखें भी पानी की बौछार करती हैं।
दिल सिर्फ एक वजह का मोहताज नहीं होता यह तो हर, बदकिस्मती पर रो जाता है,
प्यार पर रोना तो एक कहना है, यह तो खुद ब खुद ही माहौल देख सुकर जाता है।
कोई क्या पूछेगा आज के दौर में सांत्वना से,
इसलिए खामोश हो गई हूं ज़ुबान से,
बात करती हूं सिर्फ कलम से,
हां सिर्फ कलम से।।