अंधेरों से रोशनी आती रही।
अंधेरों से रोशनी आती रही।
राह में मजबूरियां आती रही।
जिंदगी फिर भी मगर गाती रही।
राह को ही मंजिलों का नाम देकर।
मंजिलों की जुस्तजू जाती रही।
थाम के उम्मीद का दामन चले तो।
अंधेरों से रोशनी आती रही।
दोस्ती जब से गमों से हो गई।
खुशी बैठी दूर मुस्काती रही।
मिलीं थी तुम बात तब कुछ और थी।
साथ तेरे हर खुशी जाती रही।
अब आ भी जा यह अंधेरे छट जाएंगे।
धड़कनों से यह सदा आती रही।

