तुम्हारे लिए
तुम्हारे लिए
इन नशेमन निगाहों से जरा ये चिलमन तो हटा दो,
"मोहब्बत है मुझसे तुम्हें", मुझे बस इतना बता दो !
इस बात को जुबां से नहीं कहना बस आँखों से बताना,
इकरार-ऐ-जुर्म करने को अपनी ये आँखें तो हटा दो !
सिर्फ उबलती साँसों के अंगार नहीं हैं काफी हुस्ने जाना,
इश्क की इन्तेहां सिर्फ होठों की फुसफुसाहट से जता दो !
ये इश्क का दरिया ही ऐसा है जो डूबा वो पार लगा
इश्क में फँसी हुई नैया को तुम उस पार लगा दो !
मैं तो हूँ ही गिरफ्तार तेरे ही इश्क में मेरी जाने जाना,
तुम भी इश्क का एहसास अपने दिल में जगा लो !