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अखंड सौभाग्य

अखंड सौभाग्य

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सोलह शृंगार से सज सँवर,

दुल्हन बनी मै पिया तेरे लिए,

नाम तुम्हारे सारा जीवन किया,

कसमें वादें सात फेरों में लिए।


चाँद संग जैसे मुस्काती चाँदनी,

संग पिया का वैसे भाए हरघडी,

सुख की सुहानी बारिश मे भीगे,

या जीवन मे कोई विपदा हो खडी।


मेहंदी से लिख दिया नाम तुम्हारा,

खुशबू और रंग से है उभर आया,

तस्वीर तुम्हारी इस दिल मे बसी,

प्यार का रंग और गहरा होकर छाया।


करु मैं आराधना श्री गणेशजी की,

करवा चौथ व्रत कर आशिष पाऊ

छुप गया चाँद बादलों की नगरी में,

मनभावन गीत गाकर उसे बुलाऊ।


सुख दुख तो जीवन की है धूप छाँव,

जीवनभर साथ गृहस्थ धर्म निभाऊ,

अखंड सौभाग्य रहे अटूट ये बंधन,

क्षणक्षण पिया का प्यार मैं पाऊ।


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