ज़िंदगी
ज़िंदगी
मुश्किल लगती है ज़िंदगी मगर नामुमकीन नहीं
हार मान लेते हैं वही जिन्हें ख़ुद पर यकीन नहीं
सूखे पत्तों की तरह जुदा हो जाते कभी अपनों से
दरख़्त खड़ा रहता मज़बूती से होता गमगीन नहीं
आदत सी पड़ गई है अब तो रात-रात जागने की
नींद ही चुरा ले गई सपने एहसास भी हसीन नहीं
आसान नहीं है यूँ ही दिल में जगह अपनी बनाना
बने आशियाँ इतनी भी सस्ती दिल की जमीन नहीं
आता नहीं है दिल को तारीफ किसी की भी कर दे
लाख चेहरे देखे हैं मगर उनकी तरह बेहतरीन नहीं।
