तेरा साथ अभी बाकी है
तेरा साथ अभी बाकी है
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मेरे अरमानों पर क्यों
मेरे दुख भारी पडते हैं,
क्यों मेरा मन अन्तर्मन,
आपस में प्रतिद्वन्द करते है।
परिहास हुआ है जग जग में,
उपहास हर पग पर होता है,
हर क्षण धुमिल सा विस्तारित,
विश्वास सा खोता जाता है।
मुझे नहीं परवाह जमाने की,
बस एक साथ मात्र ही पाने को,
मैं कटिबद्ध हूं हर हाल में,
हर हाल में साथ निभाने को।
क्यों जीवित हो मृत प्रयाय सा,
जीवन का विस्तार होता है,
हर बार सुख के शान्त डगर पर,
डर का साक्षात्कार सा होता है।
अरमानों की कुछ गलियों में,
तुझ से पहचान अभी बाकी है,
जिन्दगी की उन राहों पर,
तेरे साथ चलना अभी बाकी है।