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Subodh Upadhyay

Romance

3  

Subodh Upadhyay

Romance

अहसास

अहसास

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कलम की स्याही सा बन गीत लिखता रहूं,

इंद्रधनुष सा रंग बनकर हवा में घुलता रहूं।


महसूस करना ठंडी रिमझिम फुहारों को,

तेरे स्पर्श को बारिश की बूंदों सा बरसता रहूं।


मिल कर तेरी चाहतों से मै संवरता रहूं,

तुझ को पाकर खुशी से मचलता रहूं।


तेरी आंखों के सागर में बस यूं डूबता रहूं,

हर जन्मों जन्म तक तेरा ख्बाब देखता रहूं।


पाकर ख्यालों में तुझको मैं मुस्कराता रहूं,

गीत लिख कर तुझ पर मैं गुनगुनाता रहूं।


तु यूं ही ख्वाबों में मेरे आते रहना मेरे ,

तुझे पाकर सिरहाने तुझ को तकता रहूं।


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