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Subodh Upadhyay

Abstract

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Subodh Upadhyay

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नारी

नारी

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नारी पुरूष की पूरक सत्ता,

जननी पोषक प्रेरक है,

वात्सल्य की जीवन्त प्रतिमा

मां शुभचिंतक पथप्रदर्शक है।


नारी है शक्ति स्वरूपा जिसकी,

आंखों में ममता करूणा है,

नारी हृदय की शीतल छाया,

सर्व मानव जन की प्रेरणा है।


नारी एक विश्वास है श्रद्धा,

प्रगति का पथ मात्र है,

त्याग सहिष्णुता धैर्य स्नेह से,

पालन करती निस्वार्थ है।


बनकर पुरुष की जीवन संगिनी

एक सलाहकार सी होती है

बिन नारी के तुच्छ सा जीवन

सबकुछ निराधार सी होती है।


गोकुल का ग्वाला गौरक्षक,

बिन राधा का श्याम अधूरा है,

पुरुषों में उत्तम चरित वाला,

बिन सीता का राम अधूरा है।


जिस घर नारी पूजी जाती,

वहा देवता रमते हैं,

जिस घर बेटी जन्म लेती है,

वहां धन वैभव सब बढ़ते हैं।


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