हमसफर
हमसफर
वो परी जब आयी उस दिन
चाँद भी कही खो गया
खिल उठा था मेरा चेहरा
ग़म मेरा कम हो गया
देखता हूँ सपने तेरे
है तेरी ही ख्वाहिशें
डरता हूँ मैं इश्क़ से पर
दिल की ही है साजिशें
साँसों में है तेरी ठंडक
दिल भी मेरा जम गया
दौड़ता था पल जो एक दिन
आज खुद ही थम गया
मानता हूँ तुझको रब मैं
दिल मे तू ही बस गया
रोता था मैं ज़िन्दगी पे
आज जी भर हँस लिया
ये हँसी जो आयी लब पे
दर्द मेरे काटकर
ख्वाबों में जो देखता था
आज मैं वो बन गया
दिल की सूनी दीवारों पे
नाम तेरा लिख दिया
सूखे दिल की इस जमीं पे
फूल तेरा खिल गया
सूना था ये दिल जो एक दिन
आज तुझ से जुड़ गया
खुशनुमा से एक सफर में
हमसफर वो मिल गया।।

