सफर हमसफ़र
सफर हमसफ़र
अंदाजेबयां ही कुछ ऐसा था,
की न मैं समझ सकी,
न वो समझा सके।
उम्र गुजर रही,
एक दूसरे को मनाने में,
न वो मुझे मना सके,
न मैं उन्हें मना सकी।
सिख लेगे ए जिंदगी,
जीने के जो होते है तजुर्बे,
अभी तो आधा सफर है तय किया,
अभी तो पूरा है बाकी।
दो कदम चल लेंगे साथ साथ,
चार कदम तुम भी जाना जरा ठहर,
बड़े आराम से कट जायेगी,
हमसफ़र ये जिंदगी का सफर।
माना बड़ी कठिन है
जिंदगी का डगर,
न होना कभी मायूस
ओ मेरे हमसफ़र।
हर कंटीले डगर को करेगे पार,
जब होगा सनम हाथो में तेरा हाथ
मुश्किलें तो आएगी जायेगी,
परेशानियां भी खूब रुलाएगी,
वक्त वेवक्त समय भी चिढ़ायेगी।
कर रब पर भरोसा
हम वक्त को बदलेगे,
जरा हम मुकुरायेगे
जरा तुम मुस्कुरा देना।