प्यार करना है तो संभल जाना
प्यार करना है तो संभल जाना
बहुत सुना है कभी लैला मजनू
तो कभी हीर रांझा है,
प्यार के किस्से में
हर किसी का हिस्सा और साझा है।
कहीं प्यार में बेसब्री
तो कहीं कुछ मतलब है,
इस किस्से में लोग
सही को भी कहते गलत है।
साहस बहुत ही है इसमें
जो दुनिया से लड़ लेते हैं,
जीत नहीं पाए तो
दुनिया से निकल लेते हैं।
परवाह नहीं होती
न मरने का डर होता है,
साथ मिल जाए अगर तो
हर जोड़ा निडर होता है।
प्यार तो करते हैं
पर नहीं जानते क्या अंजाम हैं,
प्यार में जान लुटाना भी
इन्हीं का काम हैं।
आशियाना बना लेते हैं
जिदंगी को पाकर अपने,
कंबख्त नसीब जुदा कर देता है
सारे सपने।
तजुर्बा सभी को है
भले ना कर पाए ये बयां,
कुछ दौर ऐसे भी है
जहाँ पूरी नहीं होती दास्ताँ।
गालिब ने कहा आग का दरिया है
और डूब कर जाना है,
यहाँ पर डूबते सभी है
बस कुछ को मिला किनारा है।
प्यार वो नमक है
जिससे घाव और जल जाता है,
और स्वाद बने तो
जीभ पाने को मचल जाता है।
चोट लगे तो मुश्किल है
इस घाव का भर पाना,
प्यार करना है तो
एक बार फिर संभल जाना।।

