कलम की ताकत
कलम की ताकत
मैं कभी निहत्था था ही नही
मेरे पास थी कलम की ताकत
तुम देख रहे थे मेरे जीर्ण शरीर को
मै था मन से पक्का मजबूत
जो दे सकता था
तुम्हारे हर वार का जवाब
तुम से भी बेहतर
पर मैं शांत था
और देख रहा था
तुमको अपनी नजरों से गिरते हुए।
