STORYMIRROR

Bibha Madhawi

Abstract

2  

Bibha Madhawi

Abstract

कठिन श्रम से सफलता हाथ लगती ह

कठिन श्रम से सफलता हाथ लगती ह

1 min
321


कठिन श्रम से सफलता शीघ्र सबको हाथ लगती है

इमारत पर लगाओ जोर तो बुनियाद हिलती है

कमाओ लाख धन चाहे, महल मोटर बनाओ तुम

न दे ये काम, जीवन की कभी जब शाम ढलती है

निकट जब बाल बच्चे हों, मजा तब नौकरी में है

अगर परदेश में निर्जन, कमी भरपूर खलती है

जभी घर शाम को आते,थकन काफूर हो जाती

पिलाती चाय जब बीबी, हिया में प्रीति पलती है

अगर नेता नहीं कर्मठ, रहे ईमान भी डगमग

उसे तो वोट देना ही, भयंकर भूल-गलती है

उजागर घोषणा से है, सरासर चाल वोटों की

अजूबा देख नेता को, हृदय में आग जलती है


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract