निग़ाहों की तह में छुपाने लगे है
निग़ाहों की तह में छुपाने लगे है
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हमीं से वो हमको चुराने लगे हैं
निग़ाहों की तह में छुपाने लगे हैं
शिखी पंख खोले कहीं नाचता है
कहीं गीत पिक भी सुनाने लगे हैं
सफाई का ठेका जिसे भी मिला था
वही लोग गंगा नहाने लगे हैं
उसी हार में थी छुपी जीत मेरी
समझने में मुझको जमाने लगे हैं
जिसे छद्म दंगा कराकर बचाया
उसे घाघ नेता भुनाने लगे हैं