तेरे मतभेद बन गए मनभेद से और बनने लगे अपनी गृहस्थी में कई कई छेद से तेरे मतभेद बन गए मनभेद से और बनने लगे अपनी गृहस्थी में कई कई छेद से
हर हृदय नाच उठे मस्ती में विस्तीर्ण चतुर्दिक होली के रंग। हर हृदय नाच उठे मस्ती में विस्तीर्ण चतुर्दिक होली के रंग।
चाहे हो नहीं समक्ष, देश बसे या विदेश। चाहे हो नहीं समक्ष, देश बसे या विदेश।
शायद इसीलिए वो भी इन हादसों से मुझसा ही शर्मिंदा है यह देश जो मेरा मान है शायद इसीलिए वो भी इन हादसों से मुझसा ही शर्मिंदा है यह देश जो मेरा मान है
अपने मनभेद, मतभेद, धर्मिक विवादों की होली जलाकर। अपने मनभेद, मतभेद, धर्मिक विवादों की होली जलाकर।
ये तो नहीं उचित है, रस्ते से लौट आना । आसान भी नही है, जीवन के पार जाना ।। ये तो नहीं उचित है, रस्ते से लौट आना । आसान भी नही है, जीवन के पार जाना ।।