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Ranjana Mathur

Drama

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Ranjana Mathur

Drama

इस बार होली

इस बार होली

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आ गया हर बार की तरह

फिर से फागुन का महीना।


लेकिन क्या फागुनी बयार

लाई है सौरभ भीना-भीना।


एक तरफ उठता यह धुआँ

कहे हमारे भीतर की कहानी।


अब होली आई है देखो यह

बदल डालो समय की रवानी।


इक-इक दिल में जो बसता था

कभी यह होली का त्योहार।


जाति धर्म आड़े न था आता

यह बाँटता था परस्पर प्यार।


दूर हों मनभेद और मतभेद

दिलों में उठे होली की तरंग।


हर हृदय नाच उठे मस्ती में

विस्तीर्ण चतुर्दिक होली के रंग।


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