इस बार होली
इस बार होली
आ गया हर बार की तरह
फिर से फागुन का महीना।
लेकिन क्या फागुनी बयार
लाई है सौरभ भीना-भीना।
एक तरफ उठता यह धुआँ
कहे हमारे भीतर की कहानी।
अब होली आई है देखो यह
बदल डालो समय की रवानी।
इक-इक दिल में जो बसता था
कभी यह होली का त्योहार।
जाति धर्म आड़े न था आता
यह बाँटता था परस्पर प्यार।
दूर हों मनभेद और मतभेद
दिलों में उठे होली की तरंग।
हर हृदय नाच उठे मस्ती में
विस्तीर्ण चतुर्दिक होली के रंग।
