गीतिका : दिग्पाल/मृदुगति छंद
गीतिका : दिग्पाल/मृदुगति छंद
ये तो नहीं उचित है, रस्ते से लौट आना ।
आसान भी नही है, जीवन के पार जाना ।।
कुछ मुश्किलें भी होंगी, तूफान भी मिलेंगे ;
साहस की नाँव पर ही, सागर में घर बनाना ।।
ब्यापार जिन्दगी का, इतना नहीं सरल है ;
साँसों को खर्च करके, है नेकियाँ कमाना ।।
अब बंद भी करो इन, नफरत की खेतियों को ;
खुशियों के बीज बोना, खुशियाँ ही अब उगाना ।।
मतभेद तक उचित है, मनभेद है बुराई ;
जीवन को तुम सदा ही, इस व्याधि से बचाना ।