मेरे जायज़ अहसास के अस्तित्व को लेकिन मैं फिर भी लड़ूंगा नही बैठूंगा तुम्हारे सामने घुटनों पर। मेरे जायज़ अहसास के अस्तित्व को लेकिन मैं फिर भी लड़ूंगा नही बैठूंगा तुम्हार...
कभी तो होगा निर्दयी महाराजा परास्त, काल करेगा उसके कुकर्मों का अंत अस्त कभी तो होगा निर्दयी महाराजा परास्त, काल करेगा उसके कुकर्मों का अंत अस्त
जहां के जुल्म ओ सितम अब सहे न जाते है। भुला दिया है जहां को भी अब संगदिल मेरा। जहां के जुल्म ओ सितम अब सहे न जाते है। भुला दिया है जहां को भी अब संगदिल मेरा...
चाहे हो नहीं समक्ष, देश बसे या विदेश। चाहे हो नहीं समक्ष, देश बसे या विदेश।
कहां तक गाऊं गुण तेरे हुए हैं खतम शब्द मेरे, भले ही जग रचना तेरी मगर यशोदा लाला है त कहां तक गाऊं गुण तेरे हुए हैं खतम शब्द मेरे, भले ही जग रचना तेरी मगर यश...