दिल मेरा
दिल मेरा

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अतीत से भी परे हो गया है दिल मेरा।
कि सोच के उसे होता बदन शिथिल मेरा।
कदम कदम पे दिखी चालबाजी दुनिया की।
हाँ देख देख इसे दिल बना कुटिल मेरा।
भले ही रंग से काला हूँ पर भला हूँ मैं।
सफ़ेदपोशों के जैसे न दिल करिल मेरा।
जहां के जुल्म ओ सितम अब सहे न जाते है।
भुला दिया है जहां को भी अब संगदिल मेरा।
मुझे नहीं है ये मालूम कैसा होता दिल।
कभी लगा भी है क्या ये फ़राख़दिल मेरा।
"कमल" मिली थी हज़ारों दुआएँ इक बारी।
पिला दिया था किसी प्यासे को सलिल मेरा। ।