STORYMIRROR

Raja Sekhar CH V

Drama Tragedy Action

4  

Raja Sekhar CH V

Drama Tragedy Action

कुटिल शासक

कुटिल शासक

1 min
202

कुटिल शासक देता जाए निरर्थक दलील,

जो स्वयं कभी भी नहीं है सत्यवान सुशील,

अपने कुबुद्धी दुर्बुद्धी को कहे गंगा सलिल,

देश देशवासियों की परिस्थिति करे जटिल ।१।


अन्याय ही तो करे क्रूर महाराजा,

हाहाकार करे बेबस मासूम प्रजा,

झूठ की बिसात है जिसका लहजा,

अत्यंत महंगा है जिसका साजसज्जा |२|


अपने लिए सदैव चाहे गाजा बजा,

कभी न सुने असहायों की इन्तेजा,

बढता जाए निर्धनता का शिकंजा,

भविष्य भुक्ते जिसका बुरा नतीजा ।३।


एकाधिपति नहीं है लोकतंत्र का दोस्त,

अपने अहंमानी विचारों में रहे मदमस्त,

कभी तो होगा निर्दयी महाराजा परास्त,

काल करेगा उसके कुकर्मों का अंत अस्त |४|


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama