आतंकवादी हमला
आतंकवादी हमला
आज फिर स्तब्ध हो गया हूँ मैं
देखकर आतंकवाद का ये खूनी मंजर !
एक साथ चालिस सैनिक आज फिर
आतंकवाद की भेंट चढ़े !
क्या दोष था निर्दोषों का
थे वो भारत माता की सुरक्षा में खड़े !
मिली न साबूत लाश जिनकी
टुकड़ों में जिस्म को समेटा गया !
देकर तमगा शहीद का
टुकड़ों को तिरंगे में लपेटा गया !
इस नर संहार को अब न हमें कभी
जहन से अपने भुलाना होगा !
मानवता के दुश्मन
इस आतंकवाद को एक जुट हो
जड़ से मिटाना होगा !
आतंकवाद आज समस्या नहीं
एक मेरे मुल्क हिन्दुस्तान की !
दुनिया के और भी मुल्कों ने
आतंकवाद के इस दंश को झेला है !
फिर क्यों आज इस मुश्किल घड़ी में
हिन्दुस्तान खड़ा अकेला है !
आओ आज हम
मानवता के दुश्मन इस आतंकवाद से
एक जुट होकर लड़ें !
छोड़ ये जाति धर्म की लड़ाई
मिल जुलकर हो साथ खड़े !
आ गया है अब वो समय
जब हमें आपसी मतभेद भुलाना है !
मानवता के इस दुश्मन
आतंकवाद को कब्र में दफनाना है !