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Kumar Vikash

Action

5.0  

Kumar Vikash

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आतंकवादी हमला

आतंकवादी हमला

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आज फिर स्तब्ध हो गया हूँ मैं

देखकर आतंकवाद का ये खूनी मंजर !

एक साथ चालिस सैनिक आज फिर

आतंकवाद की भेंट चढ़े !


क्या दोष था निर्दोषों का

थे वो भारत माता की सुरक्षा में खड़े !

मिली न साबूत लाश जिनकी

टुकड़ों में जिस्म को समेटा गया !


देकर तमगा शहीद का

टुकड़ों को तिरंगे में लपेटा गया !

इस नर संहार को अब न हमें कभी

जहन से अपने भुलाना होगा !


मानवता के दुश्मन

इस आतंकवाद को एक जुट हो

जड़ से मिटाना होगा !


आतंकवाद आज समस्या नहीं

एक मेरे मुल्क हिन्दुस्तान की !

दुनिया के और भी मुल्कों ने

आतंकवाद के इस दंश को झेला है !


फिर क्यों आज इस मुश्किल घड़ी में

हिन्दुस्तान खड़ा अकेला है !

आओ आज हम

मानवता के दुश्मन इस आतंकवाद से

एक जुट होकर लड़ें !


छोड़ ये जाति धर्म की लड़ाई

मिल जुलकर हो साथ खड़े !

आ गया है अब वो समय

जब हमें आपसी मतभेद भुलाना है !


मानवता के इस दुश्मन

आतंकवाद को कब्र में दफनाना है !


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