सहतय
सड़कों पर भीड़,घर में सन्नाटा, बच्चा बाप से आंख मिलाता और संस्कारो का घाटा । सड़कों पर भीड़,घर में सन्नाटा, बच्चा बाप से आंख मिलाता और संस्कारो का घाटा ।
ओर मेरे अन्तर मन को पीड़ा पहुंचाती है। जाने ऐसे विचार दुनिया कहा से लाती है। ओर मेरे अन्तर मन को पीड़ा पहुंचाती है। जाने ऐसे विचार दुनिया कहा से लाती है।
अरे जब ठुकराया था इस जहां ने। तो मेरी जीवन संगनी ने अपना धर्म निभाया था अरे जब ठुकराया था इस जहां ने। तो मेरी जीवन संगनी ने अपना धर्म निभाया था