Kuber Bharti

Others

3.1  

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मेरे हालात

मेरे हालात

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मेरे हालात यूं हुए कि मैं अपनी डगर से डगमगाया था। क्या मेरे साथ होने का दावा किया करते हो जहां वालो, अरे मेरे जीवन की बेबसी का तुमने ही तो उपहास उड़ाया था। और क्यो तुम मुझे मशवरा दिया करते हो। जो मेरे साथ जन्मो जन्म का वचन ले कर अपने बापू का आंगन सूना कर मेरे जीवन को संजोने आई है उसका दामन छोड़ दूँ।

अरे जब ठुकराया था इस जहां ने। तो मेरी जीवन संगनी ने अपना धर्म निभाया था। और मुझ को सिने से लगाया था।

और भुल गए वो पल तुमने भी तो मुझे ठुकराया था ।

कैसे छोड़ दूँ मैं उसका साथ जब आई थी सुनामी मेरे जीवन में तो उसने ही मेरी माँ बन मुझे उंगली पकड़ कर सही डगर पर चलना सिखाया था ।


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