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Ajay Singla

Classics

3.7  

Ajay Singla

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रामयण२१, चित्रकूट की शोभा

रामयण२१, चित्रकूट की शोभा

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पक्षी करें विहार वहां पर 

नदियों का शीतल जल है 

हिरन विचरें लगें मनोहर 

मुनियों का तपस्थल है। 


अत्रि मुनि पत्नी अनुसुईया 

लाईं वहां गंगा धारा 

मंदाकिनी नदी नाम है उसका 

सूंदर वन वो है सारा। 


पहुंचे मंदाकिनी के तट पर 

स्नान किया, कहा लक्ष्मण 

स्थान ये सूंदर, बनाओ कुटिया 

यहीं रहें , कहता मेरा मन। 


देवता विश्वकर्मा को लेकर 

कोल भीलों के वेश में आए 

एक छोटी और एक बड़ी 

सुँदर दो कुटियाँ बनाएं | 


आस पास जो मुनि थे सारे 

प्रभु दर्शन से हुआ पुलकित मन 

राम को अपने सामने पाकर 

मंगलदायक हो गया था वन। 


विंध्याचल पर्वत बड़ा आनंदित 

बिना परिश्रम प्रभु दिए दर्शन 

पेड़ पौधे, पशु और पक्षी 

झूम उठा था सारा वन। 


राम और सीता की सेवा में 

लक्ष्मण सदा ही मगन रहें 

सीता लक्ष्मण को बैठाकर 

राम पुरानीं कथा कहें। 


तीनों लोग ऐसे सुशोभित 

जैसे अमरावती में इंद्र 

साथ में लेकर है सची को 

और जयंत उनका बेटा सुंदर।


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