रवैया
रवैया
तुम स्वयं को दूसरों से तुलना कर
क्यों अपना समय व ऊर्जा नष्ट करते हो
तुम विशेष हो
तुम विशिष्ट हो
तुम दूसरा बनना ही क्यों
चाहते हो हो सकता है
तुम्हारे गुण
तुम्हारा व्यक्तित्व
तुम्हारी कार्यशीलता देख
तुम्हारे काम करने का ढंग देख
दूसरा तुम्हारी तरह बनना चाहता हूं
हो सकता है कोई तुम्हारा बड़ा प्रशंसक हो
तुम्हें वह अनुसरण करता हो।
तुम ईश्वर की एक अनोखी कलाकृति हो
जो गुण तुम में थोड़े या बहुत हैं
वह अपने आप में पूर्ण हैं
उन्हें पहचानो और उन्हें ही आगे बढ़ाओ
एक दीवार बनाने के लिए ईंट आखिर कैसी भी हो
हर एक ईंट महत्वपूर्ण है।