Vipin Baghel

Abstract Classics Inspirational

4.6  

Vipin Baghel

Abstract Classics Inspirational

वक्त के प्रश्न

वक्त के प्रश्न

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वक्त के गहरे शांत सागर में,

अब उतरना कौन है चाहता ?

वक्त की धधकती  आग में,

अब जलना कौन है चाहता ?1


वक्त के भयंकर तूफानों में,

अब बसना कौन है चाहता ?

वक्त के असहनीय दर्द में,

अब जीना कौन है चाहता ?2


वक्त की वेवक्त चाल में,

अब चलना कौन है चाहता ?

वक्त के भारी बोझ को,

अब उठाना कौन है चाहता ?3


वक्त के पुराने घरोंदों को ,

अब गिराना कौन है चाहता ?

वक्त के उलझे धागों को ,

अब सुलझना कौन है चाहता ?4


वक्त के वेवक्त रिश्तों को,

अब निभाना  कौन है चाहता ?

वक्त की सुनसान राहों पर ,

अब बढ़ना  कौन है चाहता ?5


वक्त के अनकहे किस्सों को ,

अब सुनना  कौन है चाहता ?

वक्त के लिखे उन पन्नों को,

अब पढ़ना कौन है चाहता ? 6


वक्त का बेवक्त , बेसब्र ,

अब इंतजार कौन है चाहता ?

वक्त की निर्मम काली रात में,

अब सोना कौन है चाहता ?7


वक्त के गहरे, गंभीर घावों को,

अब कुरेदना कौन है चाहता ?

वक्त के उन शव गीतों को,

अब गाना कौन है चाहता ?8


वक्त के बीते लम्हों को,

अब जीना कौन है चाहता ?

वक्त के वेवक्त सुर को,

अब छेड़ना कौन है चाहता ?9


वक्त में मिले उन लोगों को,

अब भूलना कौन है चाहता ?

वक्त के बीते इतिहास को,

अब लिखना कौन है चाहता ?10


वक्त में क्या हुआ, न हुआ ?

अब जानना कौन है चाहता ?

वक्त ने जो किया अच्छा किया,

अब रोना कौन है चाहता ?11


वक्त में मिले उन अपमानों का,

अब जिक्र कौन है चाहता ?

वक्त में मिली असफलताओं का,

अब मंथन कौन है चाहता ?12



वक्त के चलते पहिये को,

अब रोकना कौन है चाहता ?

वक्त की बहती धारा में,

अब ठहरना कौन है चाहता ?13


वक्त से कुछ चाहत ही नहीं तो,

अब उससे मांगते फिर क्यों रहो ?

वक्त में जो चाहो,वो  कर्म करो, 

अब जो मिले उसमें संतुष्ट रहो |14


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