वक्त के प्रश्न
वक्त के प्रश्न
वक्त के गहरे शांत सागर में,
अब उतरना कौन है चाहता ?
वक्त की धधकती आग में,
अब जलना कौन है चाहता ?1
वक्त के भयंकर तूफानों में,
अब बसना कौन है चाहता ?
वक्त के असहनीय दर्द में,
अब जीना कौन है चाहता ?2
वक्त की वेवक्त चाल में,
अब चलना कौन है चाहता ?
वक्त के भारी बोझ को,
अब उठाना कौन है चाहता ?3
वक्त के पुराने घरोंदों को ,
अब गिराना कौन है चाहता ?
वक्त के उलझे धागों को ,
अब सुलझना कौन है चाहता ?4
वक्त के वेवक्त रिश्तों को,
अब निभाना कौन है चाहता ?
वक्त की सुनसान राहों पर ,
अब बढ़ना कौन है चाहता ?5
वक्त के अनकहे किस्सों को ,
अब सुनना कौन है चाहता ?
वक्त के लिखे उन पन्नों को,
अब पढ़ना कौन है चाहता ? 6
वक्त का बेवक्त , बेसब्र ,
अब इंतजार कौन है चाहता ?
वक्त की निर्मम काली रात में,
अब सोना कौन है चाहता ?7
वक्त के गहरे, गंभीर घावों को,
अब कुरेदना कौन है चाहता ?
वक्त के उन शव गीतों को,
अब गाना कौन है चाहता ?8
वक्त के बीते लम्हों को,
अब जीना कौन है चाहता ?
वक्त के वेवक्त सुर को,
अब छेड़ना कौन है चाहता ?9
वक्त में मिले उन लोगों को,
अब भूलना कौन है चाहता ?
वक्त के बीते इतिहास को,
अब लिखना कौन है चाहता ?10
वक्त में क्या हुआ, न हुआ ?
अब जानना कौन है चाहता ?
वक्त ने जो किया अच्छा किया,
अब रोना कौन है चाहता ?11
वक्त में मिले उन अपमानों का,
अब जिक्र कौन है चाहता ?
वक्त में मिली असफलताओं का,
अब मंथन कौन है चाहता ?12
वक्त के चलते पहिये को,
अब रोकना कौन है चाहता ?
वक्त की बहती धारा में,
अब ठहरना कौन है चाहता ?13
वक्त से कुछ चाहत ही नहीं तो,
अब उससे मांगते फिर क्यों रहो ?
वक्त में जो चाहो,वो कर्म करो,
अब जो मिले उसमें संतुष्ट रहो |14