गुरु
गुरु
गुरु तरुवर हैं, गुरु नदी, गुरु हैं सिंधु नरेश।
गुरु तरिणी हैं, गुरु तारण, गुरु हैं जग के ईश।।
धन से अगर ज्ञान जो मिलता, तो ज्ञान तिजोरी में होता।
गुरु मिलते वणिकों के घर में, तम जग में जी भर के सोता।।
हम सब जड़ मति आये थे, साथ नहीं था कुछ।
गुरु की कृपा हुई तो सबने, जान लिया सब कुछ।।
अंधियारे से सब सहमे थे, गुरु ने दीप जलाया था।
हर दीपक में ज्योत जलाकर, तम से तुम्हें बचाया था।।
