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Bhim Bharat Bhushan

Abstract Classics

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Bhim Bharat Bhushan

Abstract Classics

इजाज़त

इजाज़त

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कंटकों से वो हिफाज़त चाहता है

फूल खिलने की इजाज़त चाहता है


आँधियों से मौसमों की बेखबर है

दीप जलने की इजाज़त चाहता है


बोल दिया सच तो बुरा लग जायेगा

होंठ सिलने की इजाज़त चाहता है


जब ले उड़ीं मकरन्द सारा तितलियां

भ्रमर मिलने की इजाज़त चाहता है


दर्द दिल का दूर जब से हो गया है

घाव छीलने की इजाज़त चाहता है।


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