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Bhim Bharat Bhushan

Inspirational

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Bhim Bharat Bhushan

Inspirational

नारी तेरा अस्तित्व

नारी तेरा अस्तित्व

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आँखें जब दुनियां में खोली, 

पायी तेरी मीठी बोली

तूने मुझको जीवन देकर

मुझ पर एक उपकार किया था।

अपनी ममता का आँचल,

तूने मुझ पर वार दिया था।

माफ़ रही सब ग़लती मेरी,

चाहे तूने आँख तरेरी ।

खेल खिलौने और सताना

कहना,सुनना और चिढ़ाना ।

भाल सजाया दूज का टीका, 

राखी बनकर सदा कलाई

जब तू डोली जाकर बैठी

आंखें मेरी तब भर आयीं।

यौवन के उस मधुर मास में

आकर्षण की अजब प्यास में

प्रेम सुधा का प्याला लेकर

तूने मुझ पर जल बरसाया ।

समय रहा जब कठिन कहीं पर

थामा तूने हाथ वहीं पर

जब-जब मुझमें आस जगी

तू ही मुझको पास लगी ।

जो कोई व्यक्त्वि सृजित है,

तेरा ही अस्तित्व निहित है।

नहीं शब्द और सुन्दर भाषा,

क्या कह दूं तेरी परिभाषा 

जग में यूं स्त्रीत्व निहित है,

तेरा ही अस्तित्व जीवित है।

      


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