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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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बोया पेड़ बबूल का

बोया पेड़ बबूल का

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यह कैसी विडम्बना है कि 

हम बड़े मुगालते में रहते हैं,

बोते पेड़ बबूल का, आम की आस रखते हैं।


भ्रम मत पालिए सूदूर

ऐसे तो नहीं होते हैं,

कलयुग के इस जमाने में

रामराज्य की परिकल्पना बेकार की बातें हैं।


औरों को बेवकूफ समझने से बेहतर है

खुद के बारे में पहले सोच लीजिए,

फिर बबूल के पेड़ में

आम लगने की कल्पना कीजिए।


जो कुछ मिल रहा है हमें आपको

वो हमारा आपका ही किया कराया है,

आम के बजाय हमने आपने

केवल बबूल का रोपण किया है।


अब पछताने का भला क्या फायदा

बबूल लगाया है तो काँटे से भागना कैसा ?

ये तो वही बात हुई कि 

बबूल के पेड़ से आम की कल्पना जैसा।


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