रक्त कुमुदिनी
रक्त कुमुदिनी
मानो या ना मानो
रक्त कुमुदिनी से मेरा गहरा नाता है
गोल मटोल सिर पर
लहराते नाज़ुक लाल फूलों के लच्छे
विषकन्या सी वह
तीर बुझाया करते तुम या मछली का चारा
बाग़ों में उगाया करते
पर हाथ सदा बचाए रखते
सिर पर मेरे उगते शूलों से गुच्छे
मेरा वंश पले ख़ून में
मेरा दंश रहे ख़ून में
तीर नहीं मैं, ना ही हूं चारा
पर विष का हूं मैं
गुब्बारा
हाथ बचाए रखना तुम
बात सम्हाले रखना तुम
तब ही तो बच पाओगे मुझसे तुम।