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Hardik Mahajan Hardik

Abstract

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Hardik Mahajan Hardik

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सपनों को चूर करने लगी

सपनों को चूर करने लगी

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सपनों को चूर करने लगी

अब ज़िन्दगी

स्मार्ट फोन की दुनिया मे खोने

लगी जिंदगी

क्या बड़े क्या बच्चे सबको

लगी लत अब ज़िंदगी,


हर दिन बच्चों के भविष्य को

बिगाड़ने लगी ज़िन्दगी,

फोन के बाहर भी एक दुनिया

है, सुनों देखों तुम दुनिया,

स्मार्ट फोन छोड़कर सभी

खुलकर जीना सीखो,


बाहर की दुनिया में ही बसी

तुम्हारी अपनी ज़िंदगी।

दुनियाभर में आजकल

ये कैसी लगी लत है,

स्मार्ट फोन के चक्कर मे

भूल रहें हों तुम जीना

स्मार्ट फोन से बाहर

निकलो अब तुम,

एक अलग दुनिया

मे आओ,


अपनी पहचान बनाओ,

बुलंदियों को छूने का

अहसास मिलेगा,

बदलती हर जिंदगी का

आगाज़ मिलेगा।


आज़ाद हों जाओगे

स्मार्ट फोन से जब तुम

अपनी ज़िंदगी को

ख़ुद सँवारने लगोगे !


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