अपने सा समझें सब जन को
अपने सा समझें सब जन को
सदा अपने सा समझें ,
हम सब ही जन को।
रुचता या चुभता है हमें,
वैसा लगता है हर मन को।
होती सुख की चाहत सबको,
न दुखाएं हम किसी का दिल।
आचरण हम रखें सदा ऐसा,
जाएं दूध पानी से हम घुल-मिल।
सबके रखें व्यवहार सदा ऐसा,
प्रफुल्लित करे सबके ही मन को।
सदा अपने सा समझें ,
हम सब ही जन को।
रुचता या चुभता है हमें,
वैसा लगता है हर मन को।
नहीं अच्छा खुद के लिए हमें लागे,
न दूजे संग करिए वह व्यवहार।
अगर कुछ त्रुटि हो जाती है,
क्षमा याचक बन कर लें सुधार।
रखें सरलतापूर्ण स्वभाव अपना,
दुखाएं न हम कभी किसी मन को।
सदा अपने सा समझें ,
हम सब ही जन को।
रुचता या चुभता है हमें,
वैसा लगता है हर मन को।