मन मन्दिर को सजाओ
मन मन्दिर को सजाओ
सदा अपने मन को समझना, मन्दिर के समान
दिव्य गुणों से सजकर, तुम बनो इसके भगवान
शुद्ध संकल्पों का इत्र ही, मन को पवित्र बनाता
सर्व अशुद्धियां मिटाकर, तुम्हें देव तुल्य बनाता
आत्मचिन्तन करने से होगा, दिव्यता का संचार
भय और चिंताओं का, मन से मिटेगा हाहाकार
दिव्यता रूपी आभूषण से, अपना मन सजाओ
दैवी रूप का साक्षात्कार, औरों को तुम कराओ
दिव्यता का श्रृंगार करके, जहां कहीं भी जाओ
अलौकिक स्नेह की सुगन्ध, चारों और फैलाओ।