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Manju Anand

Abstract

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Manju Anand

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माँ तुम्हारा आँचल

माँ तुम्हारा आँचल

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माँ तुम्हारा आँचल,

कितना निर्मल कितना शीतल,

दुख-दर्द की तपिश से तपते मेरे तन को,

माँ तुम्हारा आँचल छाँव ठंडी दे जाता है,

पकड़ कर तुम्हारे आँचल का कोना,

मन मेरा सुकून से भर जाता है

ओढ़ तुम्हारा निर्मल आँचल,

मन चैन की नींद सो जाता है,

माँ तुम्हारा आँचल ।


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