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Dr. Tulika Das

Inspirational

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Dr. Tulika Das

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मां के लाल

मां के लाल

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मां के लालों ने लाल मां का आंचल किया ,

कड़ियां दासता की तोड़ दी ,

आजादी से मां का श्रृंगार किया ।

रूप सदा ये सजा रहे ,

श्रृंगार सदा ये बना रहे ,

ध्यान इसका रखने को

लाल मां के प्रहरी बने ।

चलती है जब गर्म हवाएं

प्रहरी वो पर्वत बन जाते हैं ,

घिरते है बर्फीले तूफान

सांसो से अपनी थाम लेते हैं ।

सोते हैं हम चैन से ,

वो नींद को नींद सुलाते है ।

स्वतंत्र हवाएं बहती रहे ,

जीवन हमारा उन्मुक्त रहे ,

वो आजादी का मोल चुकाते हैं ।

तिरंगे की शान में

रक्त से तिलक लगाते हैं ,

वंदे मातरम् के उदघोष से

शत्रु को थर्राते है ।

वंदे मातरम् ।



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