हमें कम मत समझना
हमें कम मत समझना
हमें कम मत समझना
हम बड़े अलबेले हैं
जीते है शान से
चाहे कितने ही झमेले है
ठोकरें खाई हैं हमने
कई मोड़ पर गिर पड़े
आज नाज़ है उन ठोकरों पर
रास्ते खुद झुका के सिर खड़े
रोशनी आज जलती है
सिर्फ़ हमारे आशियाने के लिए
और दरिया भी तलाश में है
रुके बस हमारी आवाज़ के लिए
आज मंज़र वक्त का है
कल समय अपना आएगा
फिर हम भी ठोकरें मारेंगे मुश्किलों को
एतबार भी झुका पायेगा
माना आज सूरज देर से आया
माना आज चाँद भी रूठा चाँदनी से
सितारें आज रुसवा रहे हैं अंबर से
पर उसी ढंग से काम शुरू किया ज़िंदगी ने
माना आज ख़्वाब अकेले हैं
माना आज चेहरे पीले पड़े हैं
हाँ, आज कुछ तो गुम है अँधेरे में
हाँ, आज अरमान भी कुछ नीले पड़े हैं
पर आज ही वक्त है उठने का
आज ही मौसम है उड़ने का
अब आई रुत ज़वानी की
और आया मंजर साथ जुटने का
और हासिल करनी वो जीत
जो किसी से भी हो नहीं सकता
और कोई न बचे कहने वाला
"तुमसे ये हो नहीं सकता"