कृपा करो
कृपा करो


हम दीनन पर प्रभु कृपा करो।
हे ! करुणामय, दीनबन्धु, मार्ग मेरा सुगम करो।।
मझधार बीच डूबत मेरी नैया, तुम ही इसको पार करो।
सुमिरन, भजन न होत है मुझसे, काहु विधि मेरी पीड़ा हरो।।
मदमस्त हुआ गजानन भी, व्याकुल हो तुम्हारे शरण परो।
जीर्ण-शीर्ण होती यह काया, फिर भी कुछ तो उपकार करो।।
अंगुलिमाल,गणिका भी तर गये, पल भर में उद्धार करो।
मैं ठहरा कुटिल और कामी, विपदा मेरी अब तो हरो।।
चरनन पुष्प चढ़ाऊँ निशदिन, मुझ नीच को भयमुक्त करो।
मोहपाश में जकड़ा "नीरज", कृपा कर मुझको विरक्त करो।।