मत पीसो इस चक्की में, मैं भी इंसान हूँ, हाँ, मैं भी इंसान हूँ। मत पीसो इस चक्की में, मैं भी इंसान हूँ, हाँ, मैं भी इंसान हूँ।
पिसती रही समय की चक्की में, बनती रही और निखरती रही पिसती रही समय की चक्की में, बनती रही और निखरती रही
कृष्ण तुम.... प्रेम की अमिट आस हो। कृष्ण तुम... प्रेम की अमर प्यास हो। कृष्ण तुम.... प्रेम की अमिट आस हो। कृष्ण तुम... प्रेम की अमर प्यास हो।
कहीं मिल जायेंं तो मुझे भी बताना मैं भी तो माँग रही हूँ। कहीं मिल जायेंं तो मुझे भी बताना मैं भी तो माँग रही हूँ।
जिंदगी, एक चक्की की तरह निरन्तर चलती है। जिंदगी, एक चक्की की तरह निरन्तर चलती है।
मां अपनी बेटी कोकैसे पालती है...? लाड-प्यार से या समाज के डर से...??? मां अपनी बेटी कोकैसे पालती है...? लाड-प्यार से या समाज के डर से...???