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Uma Arya

Classics

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Uma Arya

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न्याय

न्याय

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अन्याय के विरुद्ध इक तलाश न्याय

इक आशा इक विश्वाास है न्याय

पर क्या मिल पाताा है सही समय पर न्याय

व्यक्ति गुजर जाता है पर मुकदमा चलता रहता है.

गरीब लुट जााता है बिक जाता हैै


न्याय की चक्की में पिस जाता है पर कहाँँ

मिल पाता है न्याय

इक स्त्री सारी उम्र न्याय ही

मांगती है, पिता से पुत्री होने का न्याय भाई से

बहन का न्याय पति से पत्नी होने का न्याय पर

सारी उम्र काले से सफेद होते

बालों में कहाँ दिख पाता है, न्याय


जीवन से मरण तक तलाश न्याय

सच और झूठ में डूबता उतराता न्याय

अपने होनेे का जश्न मनाता हुआ न्याय

हारता हुआ, जीतता हुआ न्याय

कहीं मिल जायेंं तो मुझे भी बताना

मैं भी तो माँग रही हूँ।  


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