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Uma Arya

Abstract

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Uma Arya

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मैं भी लिखूँ

मैं भी लिखूँ

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कोई बात मुकम्मल हो तो गीत लिखूँ        

मैं अपनी हर कोशिश को उम्मीद लिखूँ       


हर मुश्किल में जो खड़ा हो साथ मेरे'       

मैं भी हक से उसे अपना मीत लिखूँ         


जो दिल को छू जायें और आँखों से बहें '     

तार-तार झंकृत हो तो संगीत लिखूँ         


अनकही बातें भी 'जब समझ आ जायें     

कही हुयी बात फिर मैं भी लिखूँ।    


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