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Uma Arya

Children Stories

4  

Uma Arya

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अरे ओ बादल

अरे ओ बादल

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अरे! ओ , बादल . जरा सुन तो पागल, कब तक तरसाओगे 

बोलो ना, पानी कब बरसाओगे।

सूखी धरती भी 'चिटक गयी. किसानों की आँखे तरस गयी

प्यासी इन आशाओं को पूरा कब कर पाओगे 

बोलो ! न. पानी कब बरसाओगे

सभी तुम्हें निहार रहें मन ही मन पुकार रहें.

करुणा के ये स्वर क्या कभी सुन पाओगे ।

बोलो! न पानी कब बरसाओगे

बचपन की नादानी मे, बस यूँ ही खेल, कहानी में '

हम ने कह दिया "रेन - रेन गो अवे. क्या पता था

तुम इतना बुरा मान जाओगे. 

बोलों ! न. पानी कब बरसाओगे.

अरे ! ओ 'बादल जरा सुन ना पागल .



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